इंसानियत को बचाए रखने के लिए मोहब्बत का बचा रहना बहुत जरूरी है। वैसे, इंसानियत को सबसे ज्यादा खतरा किसी से है, तो वह उस एहसास से है, जो लगता तो प्रेम की तरह है, पर होता कुछ और ही है। प्रेम कोई अमूर्त चीज नहीं है। यह साथ-साथ जीने और एक-दूसरे की खुशी के लिए मेहनत करने का नाम है, लेकिन अक्सर होता यह है कि आप प्रेम जैसे किसी और ही एहसास को जीते रहते हैं और प्रेम का भ्रम आपकी जि़ंदगी को गर्त में ले जाता है। प्रेम के बारे में किसी व्यक्ति की समझदारी का विकास उसकी संस्कृति, लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा, धार्मिक रुझान के साथ-साथ उस दौर के चलन और निजी अनुभवों पर आधारित है। ध्यान देने वाली बात है कि परंपराएं, रीति-रिवाज, पसंद-नापसंद भले ही बदलते रहे हों, पर प्रेम की मूल भावना जस की तस रही है। असल प्रेम की पहचान के लिए प्रेम करने से ज्यादा उसको समझना जरूरी है और हमेशा से ही दुनिया भर में, प्रेम को लेकर कई तरह के विमर्श हुए हैं। प्रेम का जो इतिहास है, वह सीढ़ीनुमा नहीं होता कि जो जैसे-जैसे ऊपर चढ़ता जाता है, उससे नीचे की पायदानें छूटती जाती हैं। प्रेम एक अनुभव है, जिसमें जो जितना आगे बढ़ता है, पिछली यादों और उनसे मिले सबकों को सदा अपने पल्ले से ही बांधे रखता है। यह एक खानाबदोश जि़ंदगी की तरह है कि जहां से जब आप गुजरते हैं, वहां से कुछ लेते हैं और अपना कुछ छोड़ जाते हैं। आइए इस मंच के जरिए हिंदुस्तानी मन में प्रेम को लेकर होते उथल-पुथल को जानने-पहचाने-समझने की कोशिश करें। यह एक खुला मंच है, जिस पर आप और हम मिलकर प्रेम की नई परिभाषाएं तलाशेंगे।
प्रेमराग
प्रेम का होना ही बस एक ऐसा कारण है, जो जीवन को सार्थक बनाता है। प्रेम के बिना मानवता की हर उपलब्धि मिथ्या है। जब भी किसी के मन में प्रेम होता है तो वह खुद को पूरी कायनात का अटूट हिस्सा महसूस करता है। इसके लिए व्यक्ति को अपने अहंबोध की स्थिति से ऊपर उठना पड़ता है, जो कि एक जटिल प्रक्रिया है। यह ब्लॉग प्रेम के विविध आयाम पर भारतीय जनमानस को खंगालने का प्रयास है।
शुक्रवार, 20 मार्च 2015
चलो! चलें प्रेम की एक नई राह...
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